।। शनिवार संवाद ।। 01/03/2025
महाकुंभ का समापन हो गया, ४५ दिनों तक ये हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गया था। इस पर बहुत कुछ कहा और लिखा गया। मेले के आर्थिक पहलू का उल्लेख किया गया।
इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं करीब करीब देश के हर भाग से लोग आए और उन्होंने इसे सफल बनाया, कोई भी इससे अछूता नहीं रहा।
६६करोड़ से ज्यादा लोगों ने इसमें हिस्सा लिया, और जो भी जा सके उन्होंने भी इसमें भाग लिया। लोगों के प्रवास ने ही पूरे देश की अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में मदत की।
बाकी उनके द्वारा किये गए अन्य खर्चों का कोई हिसाब नहीं है। इसमें पूजा के लिए दिया गया दान भी शामिल है। जो कोई भी नही बताता। दान पेटी में जो डाला उसे भी कोई नहीं बताता।
बाकी सारे खर्चों का हिसाब मिल जाएगा, एक अनुमान के अनुसार कोई तीन लाख करोड़ का लेन देन हुआ है, मार्च के gst कलेक्शन से चीजें साफ हो जाएगी।
आज हम बात करेंगे उनकी जो विदेश से आये है, उन्होंने जो खर्च किया है उनमें भारत के साथ अपने देश में भी किया है। इससे जो वहां की अर्थव्यवस्था का फायदा हुआ वो भी बहुत ज्यादा है। उन्होंने न सिर्फ खुद यात्रा की वरन् लोगों को जागरूक किया सनातन और भारत के बारे में।
दुनिया महाकुंभ को टीवी और इंटरनेट से देख रही थी। और कभी न कभी वो भारत आ कर गंगा और अन्य महत्वपूर्ण तीर्थों में जाएंगे।
विदेशी मेहमान का औसतन स्टे ज्यादा था हमसे। वे ज्यादा जगह पर जा रहे है। और वे हमारे ब्रांड एम्बेसडर है जो आने वाले समय मे ज्यादा से ज्यादा लोगों को भारत भेजेंगे।
पहले भी हर जगह मेले लगते थे जिससे लोकल इकोनॉमी को सपोर्ट करती थीं और आज वो फिर से अपनी उपयोगिता को साबित करते है।
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