।। शनिवार संवाद।। 01/02/2025
हाल में एक खबर आई कि चीन की एक कंपनी ने आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस का एडवांस वर्जन (डीपसीक) का निर्माण किया। सबसे अच्छी बात ये है कि उसने अमेरिकी कंपनी के हार्डवेयर का इस्तेमाल नहीं किया। ये बात सही है या नहीं, इसका कोई पुख़्ता प्रमाण नहीं है।
कहा जा रहा हैं कि आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस हमारी जिंदगी को बदलेगी, हमारे व्यवहार का अचूक आकलन करके हमारे निर्णय को भाप लेगा और उसे प्रभावित करेगा। अभी पुख़्ता कुछ नहीं पता।
अभी हमें पूरा प्रभाव देखने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। शायद ये हमारी आजीविका को प्रभावित करे या न करे
पर चर्चा चल पड़ी है, हर पहलू पर चर्चा होगी।
इस पर हमें बात नहीं करनी क्योंकि इसकी पूरी जानकारी नहीं है।
पर दूसरे पहलू पर बात करेंगे,जो दिख रही है पर उस पर कोई चर्चा नहीं। वो यह कि चीन ने इतनी काबिलियत बना ली है कि वह अमेरिका या यूरोप पर निर्भर नहीं है।
इसकी शुरुआत होती है लो कॉस्ट काम से, चीन ने पहले सिर्फ असेंबली का काम किया क्योंकि उनके पास टेक्नोलॉजी या मनुष्य बल नहीं था।
असेंबली का काम सरल था और निवेश कम। बाद में उन्होंने सारी दुनिया की असेंबली अपने तरफ लेनी चालू की। जब पूरी दुनिया की असेंबली जो कि इंसानों पर डिपेंडेंट थी चीन को दिया, डिजाइन और कंपोनेंट का सप्लाई उन्होंने चीन को नहीं दिया।
और कालांतर मे वहीं लोग चीन पर हर चीज के लिए डिपेंडेंट हो गए। और हाई एंड टेक्नोलॉजी चीन को दे दी। चीन ने अपनी मनुष्य बल का विकास किया और तकनीक पर काम किया।
सेमीकंडक्टर, डिजाइन और असेंबली पर अपना वर्चस्व बनाया। आज उसे किसी भी तरह से अमेरिका और यूरोप की जरूरत नहीं।
पर शुरुआत असेंबली यानी छोटे से कदम से हुआ पर आज वो पैसों के निवेश करने से हिचक नहीं रहा। दुनिया को चीन के टेक्नोलॉजी के कॉपी की आवश्यकता ज्यादा है न कि अमेरिका की महंगे टेक्नोलॉजी की।
भले अमेरिका का नुकसान हो रहा है पर चीन ने दिखा दिया कि यह अमेरिका के बिना भी संभव है।
अब हम भारत की बात करे, हमने अभी मैन्युफैक्चरिंग में हाथ डाला है क्योंकि हमने अपना मैन्युफैक्चरिंग बंद करदी थी।
और सारा काम चीन में हो रहा था, असेंबली लाइन का निर्माण किया और उसका फायदा हमने देखा। न सिर्फ नौकरियां मिली वरन् विदेशी बाजार में बिक्री से हमारी आमदनी भी बढ़ गई।
अब हम सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग की तरफ बढ़ रहे है डिजाइन की कैपेबिलिटी है उसका हमें यहां फायदा मिलेगा। असेंबली और कंपोनेंट का निर्माण हमें इसी दिशा में ले जा रही है।
टाटा ग्रुप और डिक्सन जैसी बड़ी कंपनिया अब आगे आ रही है। इको सिस्टम बनाने की आवश्यकता है और ये पहला कदम है। असेंबली लाइन से शुरू हो कर ये इंडिजिनियस प्रोडक्ट तक का सफर सही दिशा में बढ़ रहा है।
डिजाइन, प्रोटोटाइप, कंपोनेंट, सॉफ्टवेयर से फाइनल प्रोडक्ट तक की यात्रा हमारे देश में ही होगा और इसका उपयोग भारत सहित पूरी दुनिया करेगी।
चीन ने हमारे इरादे को और मजबूत ही नहीं किया बल्कि हमारे राह सही है इसे दिखा दिया।
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