|| शनिवार संवाद || 20-04-2024
ये समय बदलाव का है और हम इसको रोक नहीं सकते | हम चाहे या न चाहे हमे इसमें हमारी भागीदारी होगी | ये भी सच है की बदलाव शाश्वत है और दुनिया बदलती रहती है और आपके इच्छा का कोई महत्त्व नहीं |
कल तक दुनिया की बड़ी कम्पनी चीन का रुख करती थी न की भारत को तवज्जो देती थी | पूरी दुनिया अपनी मैन्युफैक्चरिंग के लिए पहला और अंतिम सोर्स चीन को मानते थे | हम सिर्फ सॉफ्टवेयर के लिए याद किये जाते थे | हमने अपना मैन्युफैक्चरिंग को लगभग बंद कर दिया था | सिर्फ सर्विसेज पर डिपेंडेंट हो गए थे | इम्पोर्ट ओनली थे गुड्स के लिए |
या जो भी घरेलु उत्पादन था वो हैवी इंडस्ट्री में था | छोटी और मझोली कंपनी बंद हो रहे थे | या हमारा अपना इकोसिस्टम बंद या खत्म हो गए | कोरोना ने हमे आत्मनिर्भर होने पर मजबूर किया और उसी वक्त दुनिया भी ऐसी सोच के साथ आगे बढ़ रही थी |
इस बार हमे पूरा इकोसिस्टम बनाना होगा जिसमे डिज़ाइन, मटेरियल, प्रोसेस या मैन्युफैक्चरिंग, टूल्स, रिसर्च और डिस्ट्रीब्यूशन सब हमारा होगा |
अभी हम पुरे सिस्टम पर नियंत्रण नहीं करते और इसे खत्म करना होगा | पहले बैंक्स छोटे व्यापारी पर भरोसा नहीं करते थे और लोन देने में डरते थे ,जिससे हमारे लिए पूंजी की किम्मत ज्यादा थी जिससे हम मार्किट में टिक नहीं पाते थे, साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर भी नहीं था|
आज बैंक्स और अन्य फाइनेंसियल इंस्टीटूशन्स छोटे और मझोले व्यापारिओं को फण्ड भी कर रहे और अन्य सेवा भी दे रहे है जिससे उनकी पहुंच दुनिया के हर कोने में बढ़ रही है | हमारा माल गुणवत्ता के मानको को पूरा करता है तथा हमे एक जिम्मेदार विक्रेता की कसौटी पर खरा उतारते है |
पूंजी सब तरफ से आ रहे है निवेश या इक्विटी के रूप में , हमारा मार्किट सबसे बड़ा और वाइब्रेंट है जो मिडिल क्लास पर डिपेंडेंट है और बढ़ती हुई आमदनी इसे और बड़ा रही है |
विश्वास और ट्रांसपेरेंसी अब हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है |
क्रमशः। .
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