|| शनिवार संवाद ||16-12-2023

 संयुक्त राष्ट्र संघ की पर्यावरण या जल वायु सम्बन्धी कार्यशाला cop 28  UAE में संपन्न हुई |  अगर हम इसके पहले के कार्यशाला के परिणामो को देखते है  तो कोई खास फायदा नहीं दीखता वरना  उसमे अड़ंगा लगाते हुए विकसित देश दीखते है | 

पिछले 50 साल को देखते है तो पर्यावरण का नुकसान विकसित देशो ने किया,  न की अविकसित या विकासशील देशो ने | आज भी यूरोप अपनी जरुरतो की पूर्ति अफ्रीका का दोहन करके पूरी करता है | इनका रवैया पहले और अभी भी ऐसा  ही है और ये चाहते है की पर्यावरण के नुकसान की भरपाई विकासशील और अविकसित देश करे | 

आज पृथ्वी का तापमान १* से बड़ा है तो इसमें विकसित देश ही जिम्मेदार है न की अन्य देश | पर इसकी कीमत पूरी दुनिया भुगत रही है | पर प्रयास बंद नहीं होने चाहिए क्युकी जिम्मेदारी न होने पर भी कीमत हम चूका रहे है | 

अब हम COP 28  की घोषणा की तरफ देखे तो ये देखते है की कमिटमेंट ज्यादा नज़र आती है सब कार्बन उत्सर्जन कम करने की जिम्मेदारी उठाने को तैयार दीखते है | भारत की बात करे तो हम सन 2070 तक कार्बन न्यूट्रल हो जायेंगे | हमने अभी से इथेनॉल ब्लेंडिंग करके पैट्रॉल बाजार में उतार दिया है ये 20% है | 

इससे हम अपना कार्बन उत्सर्जन कम करेंगे ही, पर जो विदेशी मुद्रा भी बचेगी वो अलग | हम २०३० तक कार्बन उत्सर्जन कम  करेंगे वो करीब करीब ४०% होगा जिससे न सिर्फ जल वायु साफ होगी वल्कि हमारा स्वास्थय पर होने वाला खर्च भी कम हो जायेगा | 

इलेक्ट्रिक वाहन की बढ़ती हुई बिक्री इसका साथ दे रहा है | जैसे जैसे हम इसका प्रचलन बढ़ाते जायेंगे प्रदुषण कम होता जायेगा | आज वाहन प्रदुषण की हिस्सेदारी करीब करीब ४० से ५०% के बिच है 

हमें उद्योगों द्वारा होने वाला प्रदुषण भी कम करना होगा क्युकी ये पुरे साल  प्रदुषण बढ़ाते है | तरल  हाइड्रोजन की टेक्नोलॉजी अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुई है पर इसकी डेवलपमेंट कॉस्ट ज्यादा है  गरीब देश इतना खर्च नहीं उठा सकते ,पर सब मिलकर उठा सकते है | 

पेट्रोलियम पदार्थो का प्रचलन २०३० तक आधा करने का संकल्प इस दिशा में एक सार्थक पहल है | 

पृथ्वी सबकी है और पुरानी  बातो को ध्यान में रखते हुए हमे आगे बढ़ना होगा और उन्ही गलतियों को पहले कम और बाद मे पूरी तरह से ख़त्म करना होगा जो हमारे उज्जवल भविष्य के लिए जरुरी है | 



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