|| शनिवार संवाद || 09-12-2023

 शादियों का मौसम चल रहा है और हम सब अपने परिजनों मित्रो तथा परिचितों की शादियों में सम्मिलित  भी हो रहे है | इसका अगर हम आर्थिक आकलन करे तो इसका असर बहुत है | वैसे तो हम भारतीय अपने संस्कार को सँभालते है| और इसपर गर्व भी करते है क्युकी ये वंशानुगत है  | 

हम अपने सोलह संस्कारो के अनुसार अपने अपने जिंदगी को जीते है और ये पुरे भारत में एक जैसे ही है बस जगह के अनुसार इसमें थोड़ा बदल होता है करने की पद्धति में | उसमे शादी एक महत्वपूर्ण संस्कार है  जिसमे न सिर्फ परिवार रिश्तेदार वरन समाज भी शामिल होता है | 

२४ दिसंबर तक कुछ तीन लाख शादिया एनसीआर में होनी है और पुरे देश में ३८ लाख होंगी | अगर हम इसका आकलन करे तो इसका असर बहुत है | सिर्फ और सिर्फ हम महिलाओ के सौंदर्य प्रसाधनों पर होने वाले खर्च को देखे तो भी उससे होने वाली आर्थिक गतिविधि का अनुमान लग जाता है | हमारे लिए शादी सिर्फ एक सेलिब्रेशन नहीं वरन यह एक तरह का उत्सव होता है | 

अब इसका आकलन करे तो हम पाएंगे पूरा का पूरा असर व्यापक पड़ता है इसमें अलग अलग लोग या संस्था  कार्य करते है और इनकी पूरी टीम लगती है | जिससे मिलने वाला रोजगार का आप आकलन कर सकते है |  एक सीजन ज्यादा से ज्यादा ३० दिन का होता है जो की पुरे १२ महीने में चलता है | इसमें होने वाली कमाई पूरी इकोसिस्टम को साल भर का भरण पोषण करने के लिए काफी है | 

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार का आलम ये होता है की इस वक़्त अगर आप मजदूरो को ढूंढते हो तो नहीं मिलते | टेम्परोरी जॉब जो इस वक़्त बड़ी आसानी से मिलता है | और आमदनी बढ़िया | 

शादी सिर्फ शादी नहीं होती दो परिवारों का मिलन  वरन इकॉनमी को बढ़ने का करक जो की हमारी परंपरा के निर्वाहन से होती है | 



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