||शनिवार संवाद || 25-11-2023

पिछले हफ्ते हमने देखा नोटबंदी करने के बाद हममे जो बदलाव आया है उसपर चर्चा करते है | आज हम डिजिटल इकॉनमी की तरफ बाद रहे है | हम आज सबसे ज्यादा डिजिटल ट्रांसक्शन करते है, इसका असर ये है की हमने नगदी रखना कम  कर दिया है | उदाहरण की तौर एक छोटा सी बात बताते है, २०१६ मे कानपूर की स्टेट बैंक दैनिक नगदी हैंडल करती थी वो रकम थी २०० करोड़, चेक से पेमेंट करीब १५० करोड़ और डिजिटल पेमेंट १० करोड़| 

नोटबंदी के बाद ये रकम करीब करीब  उलटी हो गयी नगदी १०० करोड़ और डिजिटल पेमेंट ५० करोड़ हो गयी,उस वक्त डिजिटल पेमेंट हमारे देश में नयी थी और हम उससे ज्यादा इस्तेमाल नहीं करते थे | आज नगदी का प्रचलन न के बराबर हो गए और डिजिटल पेमेंट अब घर घर की आम बात हो गयी है | कोई भी भारतीय नागरिक आज डिजिटल पेमेंट से अनजान नहीं है, और ये इतना आसान है की इसका इस्तेमाल सब करते है| 

ये एक छोटा सा उदहारण है, हममे ये बदल हो गया और हम इसमें इतना रम  गए है की अब ये हम सब की जिंदगी का एक भाग बन गया है बिना किसी प्रयास और पॉजिटिव चेंज है की हम टैक्स पेमेंट करना सिख गए है | पालिसी बनाना अब आसान हो गया है क्योकि अब किस व्यक्ति के अकॉउंट में कितना पैसा है ये रियल टाइम मालूम रहता है  | या परिवार की आमदनी कितनी है इसका आकलन करना आसान है | 

डिजिटल पेमेंट की वजह से इकॉनमी में तरलता बढ़  रही है. और काले  धन की इकॉनमी काम होती जा रही है | जब हम नोटों को घर पर रखते है तो सरकार को ज्यादा नोट छपने पड़ते है और इसका असर ज्यादा ब्याज दर में होती है|  

पहले सरकार की योजनायें जब बनती है तो उसमे जो पद्धति इस्तेमाल होती है उसमे एक्चुअल डाटा कम होता था पर अब एक्चुअल डाटा रियल टाइम मिलता है उससे योजना बनाना सटीक और आसान होता है|   
                
                                                                                                                                           क्रमशः  

Comments

Popular posts from this blog

FINANCIAL PLANNING REVISITED

|| SHANIWAR SAMWAD || 22-10-2022

|| SHANIWAR SAMWAD || 11-12-2021