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||शनिवार संवाद|| 18/1/2025

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 GST लागू हुए अब 7 साल हो गए है। अभी इसके क्रियान्वयन में कुछ कमी है, पर इसका फायदा दिखने लगा है। अगर हम रेवेन्यू जेनरेशन को देखे तो ये बढ़ रहा है। सिर्फ रेवेन्यू ही नहीं बढ़ रहा बल्कि economy का  फार्मल भी हो रही है। जैसे जैसे समय बढ़ता जाएगा वैसे वैसे रेवेन्यू बढ़ता जाएगा और लोगों का विश्वास भी। जब VAT था तब रेवेन्यू लीकेज था और सरकार अपनी आमदनी का अनुमान भी नहीं लगा सकती थी क्योंकि उसमें जो कमी थी वह टैक्स पे करने की अपनी मर्जी, जब चाहा तब पैसे भर दिया। इससे VAT लाने का उद्देश्य विफल हो गया। क्योंकि आप इनपुट क्रेडिट नहीं ले सकते थे। पर VAT ने एक पारदर्शी सिस्टम का जन्म दिया जिसे सही से क्रियान्वयन नहीं हो सका। अभी GST का एक मुद्दा है पर वो भी आने वाले समय में कुछ कम हो जाएगा। अभी केंद्र सरकार और राज्य सरकार अपनी आमदनी को पूर्वानुमान लगा कर उसे पूरा होता देख रही है।  केंद्र सरकार रेवेन्यू लॉस को  भरकर  अभी दे रही हैं पर राज्य सरकार के लॉस ज्यादा है क्योंकि वो एक लीगेसी इश्यू है। आज राज्य सरकार अपनी आमदनी और खर्च को मिला नहीं पा रही क्योंकि खर्चे ज्यादा है और आ...

|| शनिवार संवाद || 29 -06 -2024

कुछ बाते समय से पहले होती है जिसके लिए हम तैयार नहीं होते|  पर हमारी सरकार  की दूरदर्शिता ही है जो वक़्त से पहले आने वाली परिस्तिथि  का आकलन करके उसपर निर्णय ले लिया |   उदाहरण के लिए सन 1995  के आसपास BSE ने छोटी और माइक्रो  उद्योगों की लिस्टिंग के  प्लेटफार्म का निर्माण किया पर उस वक़्त वह चल नहीं सका  | उस वक़्त हमने अपना बाजार खोलने का निर्णय लिया और उसपर अमल किया था और हम इसके लिए तैयार नहीं थे पर परिस्तिथि ने हमे इस पर आगे बढ़ने के लिए मजबूर किया |  विदेशी कम्पनी भारत में निवेश कर रही थी और हमारी कंपनीया  बंद हो रही थी और कुछ अपने को नए परिवेश में ढलने की कोशिश  कर   रही थी  | इस लिए SME प्लेटफार्म का कोई फायदा नहीं हुआ पर एक नई  राह  हमे भविष्य के लिए मिली  |   ऐसा ही फैसला ADR  और GDR  की तर्ज पर IDR  की कोशिश 2003 में की गई  जो विदेशी कम्पनीओ की प्रतिभूति का भारत में लिस्टिंग करने का प्रस्ताव था |  निर्णय अच्छा था पर उस पर कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली सिर्फ एक...

|| शनिवार संवाद || 15 -06 -2024

अनोखे चुनाव ख़त्म हो गए, पर ये थे अलग क्युकी पूरी दुनिया की नज़र इस पर थी और सब नतीजों का बेसब्री से इंतजार था  |  और सरकार का गठन हो गया |  जैसा मंत्री मंडल पहले था वैसा ही अब है |  महत्वपूर्ण मंत्रालय जैसे की अर्थ , रक्षा , आधारभूत संरचना , रेल, व्यापार  और विदेश अब भी उन्ही के पास है जो पिछले टर्म में थे |  आप एक स्थिर सरकार  को  देख रहे यही जो की 2014 से चल रही है और निर्णय लेने की क्षमता रखती है | अभी तक हमने बहुत से बड़े फैसले देखे है  और ऐसे ही आगे भी होते रहेंगे |  पहले 100 दिनों का कार्यक्रम की घोषणा का इंतजार है जो फाइनल अप्रूवल की स्तिथि पर है |  हम पुरानी  नीतियों को आगे बढ़ते देखेंगे | इसमें बदलाव भी होंगे जो समय के अनुरूप होंगे |  अभी हमने 100 टन सोना इंग्लैंड से वापस लाया, जिसका रखने का किराया हम दे रहे थे | आगे हम और सोना वापस लाएंगे जो हमने सन 1991  में गिरवी रखा था |  आधारभूत संरचना के लिए इस साल बजट बढ़ना चाहिए , रक्षा पर खर्च बढ़ेगा | अभी हमे कड़े निर्णय की जरुरत है, पर ये सरकार को अपना बहुमत नहीं है...

|| शनिवार संवाद || 01-06-2024

 चुनाव जब चल रहे होते है तो सामान्यतः  सरकार और विदेशी सरकार कोई निर्णय नहीं लेते, इसको नए सरकार पर छोड़ देते है | नई  सरकार अपने हिसाब से निर्णय लेते है | इस साल पूरी दुनिया  में कोई 56  देशो में चुनाव हो रहे है |  पर दुनिया बदल रही है और भारत से अपने रिश्ते बढ़ा रहे है, वे चुनाव तक इंतजार नहीं कर  रहे | बाकि दुनिया जहा चुनाव हो रहे है उनके बारे कोई पुख्ता बात नहीं कह सकते | पर अपने देश के साथ हो रहा है की सब चुनाव के बारे में नहीं सोचते और अपने अपने निर्णय लेकर हमसे समझौते कर रहे है |  अभी हमने ईरान के साथ चाह्बर बंदरगाह के लिए समझौता किया जो हमे अगले 10  साल तक ऑपरेट करने की परमिशन देता है | इसका सामरिक महत्त्व तो है ही पर व्यापारिक महत्त्व भी है |  हम सन 2004  के आस पास से इस कोशिश में है की हम मध्य एशिया से क्रूड और गैस लाये | तब हमने तालिबान और पाकिस्तान से समझौता करने की कोशिश की थी | इससे हम क्रूड और गैस के क्षेत्र में आयात के नए सोर्स बना लेते |  सबसे बड़ा फायदा पाकिस्तान को होना था उसे 20 साल में करीब करीब $600 B मिलने ...

|| शनिवार संवाद || 25 -०5 -2024

हम बहुत दिनों से थिएटर कमांड की बात सुन रहे थे | सेना के लिए इसकी बहुत जरूरत है पर इसको लम्बा खींचा गया | वैसे तो इस विषय का हमसे सीधा सम्बन्ध नहीं | देश की सुरक्षा से है,पर जो वेल्थ जो हम क्रिएट कर  रहे है वह सब के लिए है | वेल्थ देश की और हमारी दोनों की सुरक्षा जरुरी है |  अगर हम अपने इतिहास को देखे तो दुनिया में सबसे ज्यादा वेल्थ बनाने का काम भारत ने किया है, जिसे लूटने के लिए पुरि दुनिया  से लोग आते थे साथ ही हमसे व्यापार के लिए भी।  हम दुनिया के मध्य में है | और सारा व्यापार हमारे आसपास से होता है |  ये पहले भी होता था, तब हम जमीन और समुद्र दोनों में सजग थे जिससे व्यापार सुरक्षित तरिके से  होता था | क्युकी हमारी सामरिक ताकत थी और उसे संभाला जाता था | जिससे व्यापारी हमे पहला ऑप्शन के तरह से देखते थे और क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों पूरी करने में हम सक्षम थे | सुरक्षा और माल  की गॅरंटी |  जब हम समुद्र में कमजोर हुए तोह हमे अलग अलग तरिके से व्यापार में नुकसान उठाते रहे और  गुलाम भी हुए क्युकी न सिर्फ नेवी वरन आर्मी भी कमजोर थी उस वक़्त | ...

|| शनिवार संवाद || 18 -05 -2024

 आजकल बड़ी गजब की खबरे आ रही है , रूस और उक्रैन युद्ध के बाद से हम सबसे ज्यादा फायदे में है | पहले हमने सस्ते में तेल खरीदा | ये डिस्काउंट 20 % के आस पास था,अब ये  10 -15 % है | कच्चा तेल हमे इस डिस्काउंट के साथ भारत आया इसका मतलब यह तेल हमारे देश में इसी डिस्काउंट के साथ आया  जहाज का किराया और इन्शुरन्स के साथ |  इससे हमारे इकॉनमी को बढ़ने के लिए एक संजीवनी की तरह थी और है भी | इससे  हमारे आंतरिक कीमतों में बहुत ज्यादा बड़ी नहीं |  जब दुनिया महंगाई से परेशान थी उस वक़्त हम इससे बचे हुए थे | हम अपना बजट में ज्यादा बदल न करते हुए आगे बढ़ रहे थे क्युकी तेल की महंगाई  स्थिर थी | जिससे अन्य महंगाई बहुत ज्यादा नहीं बढ़ी | ये थी पुरानी और चलती हुई बाते| आज ये हमारे उतनी महत्त्व की नहीं | पर फायदा हमे मिला |   आज जो हो रहा है वो हम चाहते थे पर पहले असंभव सा लगता था  | हमने सैंक्शन की वजह से रूस को रूपये में भुगतान कर रहे थे | हमारा इम्पोर्ट ें दो साल में लगभग $50 B का है , इसका भुगतान के पैसे अभी भी  हमारे पास ही है | हमने इम्पोर्ट कम कर दि...

|| शनिवार संवाद || 11-05 -2024

हर अप्रैल की तरह इसबार GST का संग्रह 2 लाख करोड़ को पर कर गया | अगर हम पिछले कुछ साल जो की कोरोना के बाद के है उसमे हम पाते है की जो रकम अप्रैल में संग्रहित होती है उसके आस पास ही gst की कलेक्शन पुरे साल होती रहती है |  पिछले साल का कलेक्शन जोकि लगभग 1 करोड़ 80 लाख का महीने दर  महीने  थी उससे पहले यही 1. 6 लाख करोड़ थी |  इस साल हम ऐसी ट्रेंड को फॉलो कर सकते है | और हमारा कलेक्शन 2 लाख करोड़ का रह सकता है, विकास के लिए ज्यादा पैसे की उपलब्धता |  जब से हमने पैन और आधार को लिंक कर दिया है ट्रांस्पेरेन्सी बढ़ रही है | जोकि ज्यादा कलेक्शन में दिख रही है | इसके साथ ही हमने अन्य रिफॉर्म्स भी किया जोकि आवश्यक थे | ये हमारी मानसिकता की बदल को भी दर्शाती है | अब पैसे का  सद उपयोग बढ़ गया है और उसका फायदा सभी को एक जैसा मिल रहा है |  सबसे बड़ी बात ये है की चुनाव का असर अब भी नहीं दिख रहा है जोकि चुनाव से 6 महीने पहले दिखना शुरू हो जाता था मार्किट से पैसा गायब हो जाता था पर अब ये नहीं हो रहा है वरन लोग विश्वास के साथ निवेश कर  रहे है | दुनिया बदल गई है और भारत भी, ...