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।। शनिवार संवाद ।। 01/03/2025

महाकुंभ का समापन हो गया, ४५ दिनों तक  ये हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गया था। इस पर बहुत कुछ कहा और लिखा गया। मेले के आर्थिक पहलू का उल्लेख किया गया। इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं करीब करीब देश के हर भाग से लोग आए और उन्होंने इसे सफल बनाया, कोई भी इससे अछूता नहीं रहा। ६६करोड़ से ज्यादा लोगों ने इसमें हिस्सा लिया, और जो भी जा सके उन्होंने भी इसमें भाग लिया। लोगों के प्रवास ने ही पूरे देश की अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में मदत की। बाकी उनके द्वारा किये गए अन्य खर्चों का कोई हिसाब नहीं है। इसमें पूजा के लिए दिया गया दान भी शामिल है। जो कोई भी नही बताता। दान पेटी में जो डाला उसे भी कोई नहीं बताता। बाकी सारे खर्चों का हिसाब मिल जाएगा, एक अनुमान के अनुसार कोई तीन लाख करोड़ का लेन देन हुआ है, मार्च के gst कलेक्शन से चीजें साफ हो जाएगी। आज हम बात करेंगे उनकी जो विदेश से आये है, उन्होंने जो खर्च किया है उनमें भारत के साथ अपने देश में भी किया है। इससे जो वहां की अर्थव्यवस्था का फायदा हुआ वो भी बहुत ज्यादा है। उन्होंने न सिर्फ खुद यात्रा की वरन् लोगों को जागरूक किया सनातन और भारत के बारे में। दुनिय...

।। शनिवार संवाद ।। 22-02-2025

आज हम इकोनॉमी को फॉर्मल होते हुए देख रहे है। इसका फायदा भी उठा रहे हैं। नोट बंदी और उसके पहले लिए गए एक्शन ने इसकी बुनियाद रखी थी, इस कड़ी में अब सरकार डायरेक्ट इनकम टैक्स बिल ले कर आई है। ये भी आने वाले समय मे संसद से पास हो जाएगा शायद इसमें बहुत ज्यादा संशोधन न करना पड़े जो हमने पुराने कोड में देखा था, जो कि  बहुत उलझा हुआ था या है। नए कोड की भाषा सरल होनी चाहिए। अभी यह प्रवर समिति के पास है जिस पर काम किया जा रहा है। कॉरपोरेट टैक्स बहुत हद तक सरल हो गए है और स्थिर भी। बाकी प्रोसीजर भी साफ सुथरी हो रही है, जिससे अर्थव्यवस्था को फायदा मिल रहा है। कुछ समय पहले इकोनॉमी के इंडिकेटर की चर्चा बहुत होती थी, जैसे कि करेंट अकाउंट डेफिसिट, fiscal डेफिसिट इत्यादि। और आज होती अर्थव्यवस्था के विकास दर जो कि हमारे विश्वास को दर्शाती है। निवेश की बाते होती है और किस क्षेत्र में हुई है इस पर बात होती है। सबसे अच्छी बात यह है कि है विनिवेश का लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रहे हैं, और उससे हमें फर्क नहीं पड़ रहा है। एसेट बना कर के,उसके बंडल या समूह बना कर उनकी लिस्टिंग कर पैसे खड़े कर रहे और उसकी मालिकान...

।। शनिवार संवाद।। 01/02/2025

 हाल में एक खबर आई कि चीन की एक कंपनी ने आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस का एडवांस वर्जन (डीपसीक) का निर्माण किया। सबसे अच्छी बात ये है कि उसने अमेरिकी कंपनी के हार्डवेयर का इस्तेमाल नहीं किया। ये बात सही है या नहीं, इसका कोई पुख़्ता प्रमाण नहीं है। कहा जा रहा हैं कि आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस हमारी जिंदगी को बदलेगी, हमारे व्यवहार का अचूक आकलन करके हमारे निर्णय को भाप लेगा और उसे प्रभावित करेगा। अभी पुख़्ता कुछ नहीं पता। अभी हमें पूरा प्रभाव देखने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। शायद ये हमारी आजीविका को प्रभावित करे या न करे पर चर्चा चल पड़ी है, हर पहलू पर चर्चा होगी। इस पर हमें बात नहीं करनी क्योंकि इसकी पूरी जानकारी नहीं है। पर दूसरे पहलू पर बात करेंगे,जो दिख रही है पर उस पर कोई  चर्चा नहीं। वो यह कि चीन ने इतनी काबिलियत बना ली है कि वह अमेरिका या यूरोप पर निर्भर नहीं है। इसकी शुरुआत होती है लो कॉस्ट काम से, चीन ने पहले सिर्फ असेंबली का काम किया क्योंकि उनके पास टेक्नोलॉजी या मनुष्य बल नहीं था। असेंबली का काम सरल था और निवेश कम। बाद में उन्होंने सारी दुनिया की असेंबली अपने तरफ लेनी चालू...

||शनिवार संवाद|| 18/1/2025

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 GST लागू हुए अब 7 साल हो गए है। अभी इसके क्रियान्वयन में कुछ कमी है, पर इसका फायदा दिखने लगा है। अगर हम रेवेन्यू जेनरेशन को देखे तो ये बढ़ रहा है। सिर्फ रेवेन्यू ही नहीं बढ़ रहा बल्कि economy का  फार्मल भी हो रही है। जैसे जैसे समय बढ़ता जाएगा वैसे वैसे रेवेन्यू बढ़ता जाएगा और लोगों का विश्वास भी। जब VAT था तब रेवेन्यू लीकेज था और सरकार अपनी आमदनी का अनुमान भी नहीं लगा सकती थी क्योंकि उसमें जो कमी थी वह टैक्स पे करने की अपनी मर्जी, जब चाहा तब पैसे भर दिया। इससे VAT लाने का उद्देश्य विफल हो गया। क्योंकि आप इनपुट क्रेडिट नहीं ले सकते थे। पर VAT ने एक पारदर्शी सिस्टम का जन्म दिया जिसे सही से क्रियान्वयन नहीं हो सका। अभी GST का एक मुद्दा है पर वो भी आने वाले समय में कुछ कम हो जाएगा। अभी केंद्र सरकार और राज्य सरकार अपनी आमदनी को पूर्वानुमान लगा कर उसे पूरा होता देख रही है।  केंद्र सरकार रेवेन्यू लॉस को  भरकर  अभी दे रही हैं पर राज्य सरकार के लॉस ज्यादा है क्योंकि वो एक लीगेसी इश्यू है। आज राज्य सरकार अपनी आमदनी और खर्च को मिला नहीं पा रही क्योंकि खर्चे ज्यादा है और आ...

|| शनिवार संवाद || 29 -06 -2024

कुछ बाते समय से पहले होती है जिसके लिए हम तैयार नहीं होते|  पर हमारी सरकार  की दूरदर्शिता ही है जो वक़्त से पहले आने वाली परिस्तिथि  का आकलन करके उसपर निर्णय ले लिया |   उदाहरण के लिए सन 1995  के आसपास BSE ने छोटी और माइक्रो  उद्योगों की लिस्टिंग के  प्लेटफार्म का निर्माण किया पर उस वक़्त वह चल नहीं सका  | उस वक़्त हमने अपना बाजार खोलने का निर्णय लिया और उसपर अमल किया था और हम इसके लिए तैयार नहीं थे पर परिस्तिथि ने हमे इस पर आगे बढ़ने के लिए मजबूर किया |  विदेशी कम्पनी भारत में निवेश कर रही थी और हमारी कंपनीया  बंद हो रही थी और कुछ अपने को नए परिवेश में ढलने की कोशिश  कर   रही थी  | इस लिए SME प्लेटफार्म का कोई फायदा नहीं हुआ पर एक नई  राह  हमे भविष्य के लिए मिली  |   ऐसा ही फैसला ADR  और GDR  की तर्ज पर IDR  की कोशिश 2003 में की गई  जो विदेशी कम्पनीओ की प्रतिभूति का भारत में लिस्टिंग करने का प्रस्ताव था |  निर्णय अच्छा था पर उस पर कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली सिर्फ एक...

|| शनिवार संवाद || 15 -06 -2024

अनोखे चुनाव ख़त्म हो गए, पर ये थे अलग क्युकी पूरी दुनिया की नज़र इस पर थी और सब नतीजों का बेसब्री से इंतजार था  |  और सरकार का गठन हो गया |  जैसा मंत्री मंडल पहले था वैसा ही अब है |  महत्वपूर्ण मंत्रालय जैसे की अर्थ , रक्षा , आधारभूत संरचना , रेल, व्यापार  और विदेश अब भी उन्ही के पास है जो पिछले टर्म में थे |  आप एक स्थिर सरकार  को  देख रहे यही जो की 2014 से चल रही है और निर्णय लेने की क्षमता रखती है | अभी तक हमने बहुत से बड़े फैसले देखे है  और ऐसे ही आगे भी होते रहेंगे |  पहले 100 दिनों का कार्यक्रम की घोषणा का इंतजार है जो फाइनल अप्रूवल की स्तिथि पर है |  हम पुरानी  नीतियों को आगे बढ़ते देखेंगे | इसमें बदलाव भी होंगे जो समय के अनुरूप होंगे |  अभी हमने 100 टन सोना इंग्लैंड से वापस लाया, जिसका रखने का किराया हम दे रहे थे | आगे हम और सोना वापस लाएंगे जो हमने सन 1991  में गिरवी रखा था |  आधारभूत संरचना के लिए इस साल बजट बढ़ना चाहिए , रक्षा पर खर्च बढ़ेगा | अभी हमे कड़े निर्णय की जरुरत है, पर ये सरकार को अपना बहुमत नहीं है...

|| शनिवार संवाद || 01-06-2024

 चुनाव जब चल रहे होते है तो सामान्यतः  सरकार और विदेशी सरकार कोई निर्णय नहीं लेते, इसको नए सरकार पर छोड़ देते है | नई  सरकार अपने हिसाब से निर्णय लेते है | इस साल पूरी दुनिया  में कोई 56  देशो में चुनाव हो रहे है |  पर दुनिया बदल रही है और भारत से अपने रिश्ते बढ़ा रहे है, वे चुनाव तक इंतजार नहीं कर  रहे | बाकि दुनिया जहा चुनाव हो रहे है उनके बारे कोई पुख्ता बात नहीं कह सकते | पर अपने देश के साथ हो रहा है की सब चुनाव के बारे में नहीं सोचते और अपने अपने निर्णय लेकर हमसे समझौते कर रहे है |  अभी हमने ईरान के साथ चाह्बर बंदरगाह के लिए समझौता किया जो हमे अगले 10  साल तक ऑपरेट करने की परमिशन देता है | इसका सामरिक महत्त्व तो है ही पर व्यापारिक महत्त्व भी है |  हम सन 2004  के आस पास से इस कोशिश में है की हम मध्य एशिया से क्रूड और गैस लाये | तब हमने तालिबान और पाकिस्तान से समझौता करने की कोशिश की थी | इससे हम क्रूड और गैस के क्षेत्र में आयात के नए सोर्स बना लेते |  सबसे बड़ा फायदा पाकिस्तान को होना था उसे 20 साल में करीब करीब $600 B मिलने ...